लिखना... लिखना...
मैं वो हूँ जिसमें मेरा अंतर्मन मुझे स्वीकारे। मैं वो हूँ जिसमें मेरा अंतर्मन मुझे स्वीकारे।
झूठ और फरेब से नफ़रत है मुझे, कड़वा और सच बोलना आता है मुझे । झूठ और फरेब से नफ़रत है मुझे, कड़वा और सच बोलना आता है मुझे ।
वह प्रेमी जो था प्रारम्भ से ही तुम्हारा तुम्हारे अंदर का 'स्व'। वह प्रेमी जो था प्रारम्भ से ही तुम्हारा तुम्हारे अंदर का 'स्व'।
हाहाकार मचा धरा, नहीं जल-उपवन-अन्न शेष; क्यूँ तू प्रलय लाने तुला, धरा क्यूँ मनु दानव भेस... हाहाकार मचा धरा, नहीं जल-उपवन-अन्न शेष; क्यूँ तू प्रलय लाने तुला, धरा क्यूँ मनु...
न आराध्य की आराधना में हिय विलीन स्व-मंथना में।। न आराध्य की आराधना में हिय विलीन स्व-मंथना में।।